Badrinath Ji ki Aarti in Hindi – श्री बद्रीनाथ जी की आरती – श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्

हिन्दू धर्म के अनुसार चार धामो में से एक बद्रीनाथ धाम है,यहां भगवान विष्णु भगवान का निवास स्थल है। यह धाम भारत के उत्तरांचल राज्य में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है। इतना ही नही गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे बसा यह तीर्थस्थल हिमालय में समुद्र तल से 3050 मीटर की उचाई पर स्थित है।यह क्षेत्र पूरा प्रकर्ति की गोद मे है।

श्री बद्रीनाथजी की आरती

पवन मंद सुगंध शीतल,
हेम मंदिर शोभितम् ।
निकट गंगा बहत निर्मल,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥

शेष सुमिरन करत निशदिन,
धरत ध्यान महेश्वरम् ।
वेद ब्रह्मा करत स्तुति,
श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् ॥
पवन मंद सुगंध शीतल ॥

शक्ति गौरी गणेश शारद,
नारद मुनि उच्चारणम् ।
जोग ध्यान अपार लीला,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
पवन मंद सुगंध शीतल ॥

इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर,
धूप दीप प्रकाशितम् ।
सिद्ध मुनिजन करत जय जय,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
पवन मंद सुगंध शीतल ॥

यक्ष किन्नर करत कौतुक,
ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम् ।
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
पवन मंद सुगंध शीतल ॥

कैलाश में एक देव निरंजन,
शैल शिखर महेश्वरम् ।
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
पवन मंद सुगंध शीतल ॥

श्री बद्रजी के पंच रत्न,
पढ्त पाप विनाशनम् ।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य,
प्राप्यते फलदायकम् ॥
पवन मंद सुगंध शीतल ॥

Legend says that God Shankar discovered a black stone image of Lord Badrinarayan which was made of Saligram stone. The Badrinath temple is mentioned in ancient religious texts like Vishnu Purana and Skanda Purana.

Badrinath, also known as Badrinarayana Temple is a Hindu temple dedicated to Lord Vishnu. Badrinath Temple is situated in the town of Badrinath in India. Badrinath Temple is open between April and November due to extreme weather conditions in the Himalayan region.

कैसे रखा गया भगवान बद्रीनाथ जी का नाम बद्रीनाथ?

आईये जानते है!

यह एक रोचक कथा है, एक बार देवी लक्ष्मी जी, भगवान विष्णु जी से रूठकर मायके चली गयी। तब से भगवान विष्णु जी ने तपस्या करना शुरू की। और जैसे ही देवी लक्ष्मी जी की नाराजगी दूर हुई। तभी देवी लक्ष्मी जी भगवान विष्णु जी को ढूंढते हुए उस जगह पर जा पहुँची, जहाँ भगवान विष्णु जी तपस्या कर रहे थे। उस समय उस स्थान पर बद्री(बेड़) का वन था। बेड़ के पेड़ में बैठ कर भगवान विष्णु जी ने तपस्या की थी। इसीलिए देवी लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु जी को “बद्रीनाथ” नाम दिया।

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