Surya Dev ki Aarti in Hindi – श्री सूर्य भगवान की आरती – ऊँ जय सूर्य भगवान
शास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य देव को ही इस पूरे जगत का करता धर्ता कहा गया है। क्या आपको पता है ऋग्वेद के देवताओं में भगवान सूर्य देव का महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वही देखा जाए तो ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान सूर्य देव को परमात्मा स्वरूप माना जाता है। इतना ही नही भगवान सूर्य देव को नव ग्रह में भी सबसे प्रथम स्थान दिया है, और ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों में भगवान सूर्य देव को राजा का पद प्राप्त है।भगवान सूर्य देव से ही इस पृथ्वी पर जीवन है। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र सूर्य परक ही है।
श्री सूर्य देव की आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
भगवान सूर्य देव को रोज सुबह स्नान के बाद जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से इंसान की नौकरी में उन्नति और लाभ होता है, और आत्मविश्वास बना रहता है,जिससे अधिकारीगण आपके कार्य से खुश रहते है। भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करना बहुत ही लाभप्रद होता है। इसीलिए ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य देव को राजा, राजकीय क्षेत्र, पिता और नोकरी में अधिकारी का कारक माना गया है।
भगवान सूर्य देव के इन 11 नामो का करे जाप!
- ॐ सूर्याय नम:
- ॐ मित्राय नम:
- ॐ रवये नम:
- ॐ भानवे नम:
- ॐ खगाय नम:
- ॐ पूष्णे नम:
- ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
- ॐ मारिचाय नम:
- ॐ आदित्याय नम:
- ॐ सवित्रे नम:
- ॐ अर्काय नम:
भगवान सूर्य देव के उतरायन का मंगल पर्व
मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि मे प्रवेश करते है। इस दिन सूरज की यात्रा दक्षिणयान से उतरायण दिशा में होने लगती है।और इस शुभ पर्व पर दान पुण्य का भी बड़ा महत्व है।इस अवसर पर किया गया दान पुण्य सो गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन तिल का दान किया जाता है।इससे भगवान शनिदेव और भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते है।