श्री रामचंद्रजी की आरती – आरती कीजै रामचन्द्र जी की – Shri Ram ji ki Aarti
ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश में से भगवान विष्णु ने संसार की भलाई के लिए कई अवतार लिए हैं। भगवान विष्णु द्वारा कुल 10 अवतार लिए गए जिसमें से भगवान राम सातवें अवतार माने जाते हैं और यह अवतार भगवान विष्णु के सभी अवतारों में से सबसे ज्यादा पूज्यनीय माना जाता है।
श्री रामचंद्रजी की आरती
आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥
श्री रामचंद्रजी का परिचय
भगवान श्री राम के बारे में महर्षि वाल्मीकि द्वारा अनेक कथाएं लिखी गई हैं। वाल्मीकि के अलावा प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास ने भी श्री राम के महत्व को लोगों को समझाया है। भगवान राम ने कई ऐसे महान कार्य किए हैं जिसने हिन्दू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया है।
भगवान विष्णु ने राम बनकर असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया। भगवान श्री राम ने मातृ−पितृ भक्ति के चलते अपने पिता राजा दशरथ के एक आदेश पर 14 वर्ष तक वनवास काटा। नैतिकता, वीरता, कर्तव्यपरायणता के जो उदाहरण भगवान राम ने प्रस्तुत किए वह बाद में मानव जीवन के लिए मार्गदर्शक बन गए।
भगवान राम के बारे में सुने-अनसुने 10 किस्से
- वनवास के समय भगवान राम 27 साल के थे।
- लव और कुश राम तथा सीता के दो जुड़वां बेटे थे।
- राम-रावण युद्ध के समय इंद्र देवता ने भगवान श्री राम के लिए दिव्य रथ भेजा था।
- भगवान श्री राम ने पृथ्वी पर 10 हजार से भी अधिक वर्षों तक राज किया।
- भगवान राम का जन्म चैत्र नवमी में हुआ था जिसको भारतवर्ष में रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।
- भगवान राम ने रावण को मारने के बाद रावण के ही छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया था।
- गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी अहिल्या को पत्थर बनने का श्राप दिया था और इस श्राप से भगवान राम ने ही उन्हें मुक्ति दिलाई थी।
- अरण्य नाम के एक राजा ने रावण को श्राप दिया था कि मेरे वंश से उत्पन्न युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा और भगवान राम इन्ही के वंश में जन्मे थे।
- माता सीता को रावण की कैद से आजाद कराने के लिए रास्ते में पड़े समुद्र को पार करने के लिए भगवान राम ने एकादशी का व्रत किया था।
- वनवास वापसी के बाद भगवान राम के अयोध्या वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे तब से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम के बिना दुनिया भी कुछ नहीं है।
Sohan kumar