Bhagwan Kartikey Ki Aarti : भगवान कार्तिकेय जी की आरती: जय जय आरती वेणु गोपाला
भगवान कार्तिकेय को मुरुगन भी कहा जाता है। यह माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के ज्येष्ठ पुत्र है। वैसे तो पूरी सृष्टि में हर कोई कार्तिकेय भगवान की आराधना करते है। पर भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत मे ज़्यादा माना जाता है। और दक्षिण भारत के राज्यो और विशेषकर तमिलनाडु में इनकी विधि विधान के साथ आराधना की जाती है। भगवान कार्तिकेय की आरती ज़रूर करना चाहिए। आइए पढ़ते है भगवान कार्तिकेय जी की आरती।
कार्तिकेय जी की आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय ||
भगवान कार्तिकेय के नाम
संस्कृत ग्रंथ के अमरकोष के अनुसार कार्तिकेय के निम्र नाम है।
- कार्तिकेय
- महासेन
- शरजन्मा
- षडानन
- पार्वतीनंदन
- स्कन्द
- सेनानी
- अग्रिभू
- ग्रह
- बाहुलेय
- कुमार
भगवान कार्तिकेय की विशेषता
षणमुख, द्विभुज, शक्तिघर , मयुरासीन देवसेनापति कुमार कार्तिक की आराधना दक्षिण भारत मे बहुत प्रचलित है ये ब्रह्मपुत्री देवसेना-षष्टि देवी के पति होने के कारण संतान प्राप्ति की कामना से तो पूजे ही जाते है, इनको नैष्ठिक रूप से आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय भी है |
स्कन्द पुराण के मूल उपदेष्टा कुमार कार्तिकेय (स्कन्द ) ही है। समस्त भारतीय तीर्थों का उसमे महात्म्य आ गया है।पुराणों में यह सबसे विशाल है ।