एकादशी माता की आरती – ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता – Ekadashi Mata Ki Aarti in Hindi
क्यों करते है भक्त एकदशी का व्रत? आइए जानते है!
एकादशी का दिन प्रभु श्री हरि का दिन होता है, और यह बहुत पवित्र दिन माना जाता है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से श्री हरि (विष्णु भगवान) प्रसन्न होते है। श्री हरि के साथ साथ लक्ष्मी माता की पूजा आराधना करने से सभी समस्याओं सभी संकटो से आराम मिलता है। और इस दिन जो भी पूजा आराधना करता है वो सारे बंधनो से मुक्त हो जाता है।
एकादशी माता की आरती
एकादशी के दिन करें यह पावन आरती:
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।
महत्वपूर्ण जानकारी
हिन्दू धर्म के अनुसार 1 साल में 24 एकादशी व्रत होते है। और इन 24 एकादशी व्रत को भक्त लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते है।और आपको एकादशी माता की आरती में सारी एकादशियों के नाम मिल जाएंगे। इतना ही नही एकादशी माता की आरती का भी महत्व है। स्कन्द पुराण में आरती का महत्व वर्णित है।
आरती में अग्नि के स्थान का महत्व है। क्यों महत्व रखता है अग्नि का स्थान क्योंकि अग्नि समस्त नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा दिलवाती है। और आराध्य के समक्ष विशेष वस्तुओ को रखा जाता है। अग्नि का दीपक घी या तेल हो सकता है।जो कि पूजा के विधान पर निर्धारित है। इसके साथ साथ वातावरण को शुद्ध करने के लिए सुगंधित पदार्थो का भी उपयोग किया जाता है। और शास्त्रो में रचित है कि भक्त के आरती में शामिल होने मात्र से ही उसको लाभ प्राप्त होगा।
The timing of each Ekadashi is according to the position of the moon and in this aarti, the names of all Ekadashis are present. Ekadashi Mata aarti is sung mainly after Vishnu aarti by devotees.
Ekadashi is the eleventh lunar day among the two lunar phases that occur according to the Vedic calendar month. Ekadashi holds great importance in Hindu dharma.