Ganesha Pratah Smarana Stotra – श्री गणेश प्रातः स्मरण स्तोत्र – प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिंदूरपूरपरिशोभित गण्डयुग्मम्।
इस स्तोत्र को आप प्रातः के समय श्रीगणेश प्रातः स्मरणम् स्तोत्र का पाठ करते हैं और उसके साथ गणपति आरती या गणेश आरती भी करते हैं, तो आपको अनेक लाभ मिल सकते हैं। यह स्तोत्र त्वरित फल देने लगता है और रोग, भय, दोष, शोक आदि को भी दूर करता है। नियमित रूप से इसे पढ़ने से आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और आपके परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
|| श्रीगणेश प्रातः स्मरणम् स्तोत्र ||
प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिंदूरपूरपरिशोभित गण्डयुग्मम् ।
उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्डं आखण्डलादि सुरनायक वृन्दवन्द्यम् ॥ १ ॥
प्रातर्नमामि चतुरानन वन्द्यमानं इच्छानुकूलमखिलंच फलं ददानम् ।
तं तुंदिलं द्विरसनाधिप यज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयोः शिवाय ॥२ ॥
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोक-दावानलं गणविभुं वरकुंजरास्यम् ।
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहं उत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य ॥ ३ ॥
श्लोकत्रयमिदं पुण्यं सदा साम्राज्यदायकम् ।
प्रातरुत्थाय सततं यः पठेत्प्रयतः पुमान् ॥ ४ ॥
इस स्त्रोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से आपकी आत्मा शुद्ध और पवित्र बनी रहेगी, जिससे आपको जीवन में बहुत अधिक लाभ मिल सकता है।