श्री गंगा मां की आरती – ॐ जय गंगे माता मैया जय गंगे माता – Ganga Mata ki Aarti
गंगा माता की आरती
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मन वांशित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता…
चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी, जल निर्मल आता ।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
ॐ जय गंगे माता…
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुखदाता ॥
ॐ जय गंगे माता…
एक बार ही जो तेरी, शरणागति आता ।
यम की त्रास मिटाकर, परम गति पाता ॥
ॐ जय गंगे माता…
आरती मात तुम्हारी, जो जान नित्त जाता ।
दास वाही सहज में, मुक्ति को पाता ॥
ॐ जय गंगे माता…
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मन वांशित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता…
गंगा माता का वैज्ञानिक महत्व
गंगा नदी का जल वर्षो प्रयोग करने पर और रखने पर भी खराब नही होता है। इसके जल के नियमित प्रयोग से रोग दूर होते है। हालांकि इन गुणों के पीछे का कारण अभी बहुत हद तक अज्ञात है। बहुत से लोग इसे चमत्कार कहते है और बहुत से लोग इसे जड़ी बूटियों और आयुर्वेद से जोड़ते है। विज्ञान भी इसके दैवीय गुणों को स्वीकार करता है। आध्यात्मिक जगत में इसको सकारात्मक ऊर्जा का चमत्कार कह सकते है।
गंगा माता का परिचय
क्या है गंगा ? देवी है या नदी ? गंगा के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है। नदी है तो फिर देवी कैसे और अगर देवी है तो फिर नदी कैसे ? आईये जानते है, भारत मे प्रत्येक नदी को देवितुल्य माना गया है,क्योंकि उसी से संपूर्ण भारत मे अन्न जल उत्पन्न होता है। वही है जो मानव जीवन को संभाले हुए है। नदी है तो जीवन है। निश्चित ही तब ऐसे में किसी नदी का नामकरण किसी देवी पर ही रखा जाएगा। गंगा के बारे में हमे पुराणों में कई कहानियां मिलती है। आईये उन्ही में से कुछ कहानियों के बारे में जानते है।
कहा जाता है कि गंगा देवी के पिता का नाम हिमालय है जो पार्वती के पिता भी है। जैसे राजा दक्ष की पुत्री माता सती ने हिमालय के यहां पार्वती के नाम से जन्म लिया था उसी तरह माता गंगा ने अपने दूसरे जन्म में ऋषि जह्नु के यहां जन्म लिया था।
यह भी कहा जाता है कि गंगा माता का जन्म ब्रह्मा के कमंडल से हुआ था। मतलब यह कि गंगा नामक एक नदी का जन्म। एक अन्य कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने भगवान विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमंडल में एकत्र कर लिया। और ऐसे भगवान विष्णुजी के अंगूठे से गंगा माता प्रकट हई अतः उसे विष्णुपदी कहा जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार गंगा माता पर्वतों के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मीना की पुत्री है, इस प्रकार वे देवी पार्वती की बहन भी है। कुछ जगह पर उन्हें ब्रह्मा के कुल का बताया गया है.
Jai ganga Mata ji aap ki jai ho
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