गोरख नाथ जी की आरती – जय गोरख देवा – Gorakhnath Ji ki Aarti

श्री गोरख नाथ जी की आरती

जय गोरख देवा,
जय गोरख देवा ।

कर कृपा मम ऊपर,
नित्य करूँ सेवा ॥

शीश जटा अति सुंदर,
भाल चन्द्र सोहे ।

कानन कुंडल झलकत,
निरखत मन मोहे ॥

गल सेली विच नाग सुशोभित,
तन भस्मी धारी ।

आदि पुरुष योगीश्वर,
संतन हितकारी ॥

नाथ नरंजन आप ही,
घट घट के वासी ।

करत कृपा निज जन पर,
मेटत यम फांसी ॥

रिद्धी सिद्धि चरणों में लोटत,
माया है दासी ।

आप अलख अवधूता,
उतराखंड वासी ॥

अगम अगोचर अकथ,
अरुपी सबसे हो न्यारे ।

योगीजन के आप ही,
सदा हो रखवारे ॥

ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा,
निशदिन गुण गावे ।

नारद शारद सुर मिल,
चरनन चित लावे ॥

चारो युग में आप विराजत,
योगी तन धारी ।

सतयुग द्वापर त्रेता,
कलयुग भय टारी ॥

गुरु गोरख नाथ की आरती,
निशदिन जो गावे ।

विनवित बाल त्रिलोकी,
मुक्ति फल पावे ॥

गुरु गोरखनाथ जीवनी एवं इतिहास

गुरु गोरखनाथ

भारत की भूमि ऋषि-मुनियो और तपस्वियों की भूमि रही है। जिन्होंने अपने बौद्धिक क्षमता के दम पर भारत ही नहीं वरन सम्पूर्ण सृष्टि के भलाई के लिए बहुत योगदान दिया है। ऋषि-मुनियो के शिक्षा से हमें जीवन में सही राह चुनने का ज्ञान होता है। साधु महात्माओ द्वारा दिए गए ज्ञान-विज्ञान 21 वी सदी में भी बहुत प्रासंगिक हैं।

महापुरुषों में ऐसे कई ऋषि-मुनि हुए जो बचपन से ही दैविये गुणों के कारण या तपस्या के फलस्वरूप कई प्रकार की सिद्धियाँ व शक्तियां प्राप्त कर लेते थे, जिनका उपयोग मानव कल्याण तथा धर्म के रक्षार्थ हेतु हमेशा से किया जाता रहा है।

यह सिद्धियाँ और शक्तियाँ ऋषि-मुनियों को एक चमत्कारी तथा प्रभावी व्यक्तित्व प्रदान करती हैं और ऐसे सिद्ध योगियों के लिए भौतिक सीमाए किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं कर पाती है।
पर इन शक्तियों को प्राप्त करना सहज नहीं है| परमशक्तिशाली ईश्वर द्वारा इन सिद्धियों के सुपात्र को ही एक कड़ी परीक्षा के बाद प्रदान किया जाता है। आज हम ऐसे एक सुपात्र सिद्ध महापुरुष जो साक्षात् शिवरूप माने जाते हैं के बारे में बात करेंगे| इनके बारे में कहा जाता है कि आज भी वह सशरीर जीवित हैं और हमारे पुकार को सुनते हैं और हमें मुसीबतो से पार भी लगाते हैं। हम बात कर रहे हैं महादेव भोलेनाथ के परम भक्त –

गोरखनाथ शब्द का अर्थ

गुरु गोरखनाथ को गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ “गाय को रखने और पालने वाला या गाय की रक्षा करने वाला” होता है। सनातन धर्म में गाय का बहुत ही धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि गाय के शरीर में सभी 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते है। भारतीय संस्कृति में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है।

गुरु गोरखनाथ समाधि

गुरु गोरखनाथ के नाम पर उत्तरप्रदेश में गोरखपुर नगर है। गुरु गोरखनाथ ने यहीं पर अपनी समाधि ली थी। गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ का एक भव्य और प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर पर मुग़ल काल में कई बार हमले हुए और इसे तोड़ा गया लेकिन हर बार यह मंदिर गोरखनाथ जी के आशीर्वाद से अपने पूरे गौरव के साथ खड़ा हो जाता।

बाद में नाथ संप्रदाय के साधुओं द्वारा सैन्य टुकड़ी बना कर इस मंदिर की दिन रात रक्षा की गई। भारत ही नहीं नेपाल में भी गोरखा नाम से एक जिला और एक गोरखा राज्य भी है | कहा जाता है कि गुरु गोरखनाथ ने यहाँ डेरा डाला था जिस वजह से इस जगह का नाम गोरखनाथ के नाम पर पड़ गया तथा यहाँ के लोग गोरखा जाति के कहलाये|

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