माँ नर्मदा जी की आरती – Narmadaji ki Aarti – ॐ जय जगदानन्दी

अमरकंटक से उत्थान को पाकर
अमरत्व का पान कराती है
विंध्य प्रदेश से गुजरात तक जन-जन को
माँ नर्मदा जल का महत्व समझाती है
लें संकल्प की पावन जल को अब मैला न होने देंगे
माँ नर्मदा की पावन महिमा को अब तनिक न खोने देंगे
नमन करो माँ रेवा को, ये पुण्यदायिनी कहलाती है
नमन करो माँ नर्मदा को, जो अमरत्व का पान कराती है

सबिन्दुसिन्धुसुस्खलत्तरङ्गभङ्गरञ्जितं
द्विषत्सु पापजातजातकारिवारिसंयुतम्।
कृतान्तदूतकालभूतभीतिहारिवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे।।

माँ नर्मदा जी की आरती

ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हर‍ि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी…॥

देवी नारद सारद तुम वरदायक,
अभिनव पदण्डी ।
सुर नर मुनि जन सेवत,
सुर नर मुनि…
शारद पदवाचन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी…॥

देवी धूमक वाहन राजत,
वीणा वाद्यन्ती।
झुमकत-झुमकत-झुमकत,
झननन झमकत रमती राजन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी…॥

देवी बाजत ताल मृदंगा,
सुर मण्डल रमती ।
तोड़ीतान-तोड़ीतान-तोड़ीतान,
तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी…॥

देवी सकल भुवन पर आप विराजत,
निशदिन आनन्दी ।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा
शंकर तुम भट मेटन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी…॥

मैयाजी को कंचन थार विराजत,
अगर कपूर बाती ।
अमर कंठ में विराजत,
घाटन घाट बिराजत,
कोटि रतन ज्योति ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी…॥

मैयाजी की आरती,
निशदिन पढ़ गा‍वरि,
हो रेवा जुग-जुग नरगावे,
भजत शिवानन्द स्वामी
जपत हर‍ि नंद स्वामी मनवांछित पावे।

ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हर‍ि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥

माँ नर्मदा प्राकट्योत्सव

अलौकिक और पुण्यदायिनी माँ नर्मदा के जन्मदिवस यानी माघ शुक्ल सप्तमी को नर्मदा महोत्सव मनाया जाता है। पतित पावनी पूण्य सलिला माँ नर्मदा जी अमरकंटक से प्रवाहित होकर रत्नासागर से सम्माहित हई है,शिवजी ने इन्हें अजर अमर होने का वरदान दिया है और इन्हें अस्थि-पंजर को भी राखिया को भी शिव रूप में परिवर्तित होने का आशीर्वाद प्राप्त है। इसका प्रमाण मार्कण्डेय ऋषि ने मार्कण्डेय पुराण में दिया है।

नर्मदा जी का तट सुभीक्ष माना गया है, शास्त्रो के अनुसार माँ नर्मदा के पूजन, दीपदान ,स्नान एवं दर्शन मात्र से मनुष्य के पापों का नाश हो जाता है। महाभारत ,रामायण सहित अनेक हिन्दू धर्म शास्त्रों में माँ नमर्दा का उल्लेख मिलता है नर्मदा नदी के तट पर उद्गम से लेकर विलय तक कुल 60 लाख,60 हजार तीर्थ स्थल बने है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नर्मदा नदी का हर पत्थर शंकर रूप माना गया है

जीवनदायिनी माँ नर्मदा जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं माँ नर्मदा सभी को सुख, शांति व समृद्धि प्रदान करे।

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