Pradosh Stotra – शिव प्रदोष स्तोत्र – जय देव जगन्नाथ जय शंङ्कर शाश्वत |

“शिव प्रदोष स्तोत्र” एक शिव स्तोत्र है जो प्रदोष काल में पढ़ा जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है और उनकी पूजा-अर्चना में उपयोग होता है। इस स्तोत्र को पढ़ने से भक्त शिव की कृपा, आशीर्वाद, और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है।

|| शिव प्रदोष स्तोत्र ||

जय देव जगन्नाथ जय शंङ्कर शाश्वत |
जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित || १ ||

जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद |
जय नित्य निराधार जय विश्वम्भराव्यय || २ ||

जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण |
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर || ३ ||

जय कोट्यर्कसङ्काश जयानन्तगुणाश्रय |
जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरञ्जन || ४ ||

जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभञ्जन |
जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो || ५ ||

प्रसीद में महादेव संसारार्तस्य खिद्यतः |
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर || ६ ||

महादारिद्रमग्नस्य महापापहतस्य च |
महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च || ७ ||

ऋणभारपरितस्य दह्यमानस्य कर्मभिः |
ग्रहैः प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंङ्कर || ८ ||

दरिद्रः पार्थयेद्देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् |
अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद्देवमीश्वरम् || ९ ||

दीर्धमायुः सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नतिः |
ममास्तु नित्यमानन्दः प्रसादात्तव शंङ्कर || १० ||

शत्रवः संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजाः |
नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जनाः सन्तु निरापदः || ११ ||

दुर्भिक्षमरिसन्तापाः शमं यान्तु महीतले |
सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात्सुखमया दिशः || १२ ||

एवमाराधयेद्देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् |
ब्राह्मणान्भो जयेत् पश्चाद्दक्षिणाभिश्चपूजयेत् || १३ ||

सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारणी |
शिवपूजा मयाऽऽख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा || १४ ||

|| इति प्रदोष स्तोत्रं सम्पूर्णम् ||

“शिव प्रदोष स्तोत्र” का पाठ करने से भक्त को चैतन्य, शांति, और आनंद का अनुभव होता है, और वह शिव की कृपा से धन्य होता है।

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