Shani Dev ki Aarti in Hindi – शनि देव की आरती – जय जय श्री शनिदेव
भगवान शनिदेव साक्षात रुद्र है। उनकी शरीर क्रांति इंद्रनील मणि के समान है। भगवान शनिदेव गिद्ध पर सवार रहते है। हाथो में क्रमशः धनुष, बाण, त्रिशूल, और वरमुद्रा धारण करते है। वे भगवान सूर्य तथा छाया (सवर्णा) के पुत्र है। वे क्रूर ग्रह माने जाते है। इनकी दृष्टि में क्रूरता का मुख्य कारण उनकी पत्नी का श्राप है।
नवग्रहों में भगवान शनिदेव का महत्वपूर्ण स्थान है। ज्योतिष शास्त्र के फलित में शनि भगवान की महती भूमिका होती है। भगवान शनिदेव को शास्त्रानुसार सूर्यपुत्र एवं दण्डाधिकारी माना गया है। भगवान शनि न्यायाधिपति भी है जो जीव को अपने कर्मानुसार कर्मफल या कर्मदण्ड देंने जीवन मे शनि दशा के रूप में आते है।
शनिदेव जी की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जिस व्यक्ति पर शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, उसे विधि- विधान से शनि देव की पूजा करने के बाद शनि देव की आरती जरूर करनी चाहिए। मान्यता है कि शनि देव की आरती करने से शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट और संकट दूर करते हैं।
भगवान शनिदेव के अचूक मंत्र
वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभी स्त्रवन्तु नः।
पौराणिक मंत्र
निलाजंनसमाभासं रविपुत्र यमाग्रजम, छायामार्तण्ड सम्भूतं नं नमामि शनैश्चरम।
बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः तथा
सामान्य मंत्र
ॐ शं शनैश्चाराय नमः है।
इनमे से किसी एक मंत्र का श्रद्धानुसार नित्य एक निश्चित संख्या में जप करना चाहिए। जप का समय संध्याकाल तथा कुल संख्या 23 हजार होना चाहिए।
कब भगवान शनिदेव की कृपा मिलती है और सारे काम बन जाते है ?
- जब व्यक्ति सत्य बोलता है और अनुशासित रहता है
- जब व्यक्ति कमजोर और निर्बल लोगो की खूब सेवा करता है
- जब व्यक्ति अपने बड़े बुज़ुर्गों की सेवा करता है
- जब व्यक्ति फलदार और लंबी अवधि तक रहने वाले पेड़ लगाता है
- जब व्यक्ति भगवान शिव की या कृष्णा की नियम पूर्वक उपासना करता है.
भगवान शनिदेव को प्रिय है ये वस्तु
भगवान शनिदेव की पहली प्रिय वस्तु है काला कपड़ा
भगवान शनिदेव की दूसरी प्रिय वस्तु सरसो का तेल
भगवान शनिदेव की तीसरी प्रिय वस्तु काली उड़द
जय श्री राम सीताराम सीताराम जय श्री महाकाल
जय श्री राम सीताराम जय श्री महाकाल प्रभु मैं बहुत परेशान हूं काम सीधे करता हूं सब उल्टे होते हैं 34 साल की उम्र हो गई है कुछ भी से देखा और अच्छा काम नहीं कर पाया मात-पिता हमेशा दुखी रहते हैं दादा हनुमान जी से विनती है मेरे कार्य सिद्ध करें और मुझे आशीर्वाद दे जो शेवा बन सकेगी परमात्मा के चरणों में अवश्य अगर समर्पण करूंगा मां लेकिन मेरे खास सबसे पेपर जय श्री महाकाल जय हो उमापति महादेव जय जय सियाराम 🙏🚩🚩