Shri Dhundhi Bhujang Prayat Stotra – श्री ढुण्डिराजभुजङ्ग प्रयात स्तोत्रम् – उमांगोद्भवं दंतिवक्त्रं गणेशं भजे कङ्कणैः शोभितं धूम्रकेतुम्।
श्री ढुण्डिराज भुजङ्ग प्रयात स्तोत्रम् भगवान श्री गणेश जी के ढुण्डिराज रूप को समर्पित एक स्तोत्र है। ढुण्डिराज भगवान गणेश का एक विशेष रूप है, जो भक्तों की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करता हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। भुजंग प्रयात छंद में रचित यह स्तोत्र भक्तों को मानसिक शांति, ज्ञान और सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।
|| ढुंढिराजभुजंगप्रयात स्तोत्रम् ||
उमांगोद्भवं दंतिवक्त्रं गणेशं भजे कङ्कणैः शोभितं धूम्रकेतुम् ।
गले हारमुक्तावलीशोभितं तं नमो ज्ञानरुपं गणेशं नमस्ते ॥ १ ॥
गणेशैकदन्तं शुभं सर्वकार्ये स्मरन्मन्मुखं ज्ञानदं सर्वसिद्धिम् ।
मनश्र्चिन्तितं कार्यसिद्धिर्भवेत्तं नमो बुद्धिकान्तं गणेशं नमस्ते ॥ २ ॥
कुठारं धरन्तं कृतं विघ्नराजं चतुर्भिर्मखैरेकदंतैकवर्णम् ।
इदं देवरुपं गणं सिद्धिनाथं नमो भालचन्द्रं गणेशं नमस्ते ॥ ३ ॥
शिरःसिन्दुरं कुङ्कुमं देहवर्ण शुभैभादिकं प्रीयते विघ्नरजम् ।
महासंकटच्छेदने धूम्रकेतुं नमो गौरिपुत्रं गणेशं नमस्ते ॥ ४ ॥
तथा पातकं छेदितुं विष्णुनाम तथा ध्यायतां शंकरं पापनाशम् ।
यथा पूजितं षण्मुखं शोकनाशं नमो विघ्ननाशं गणेशं नमस्ते ॥ ५ ॥
सदा सर्वदा ध्यायतामेकदन्तं सदा पूजितं सिन्दुरारक्तपुष्पैः ।
सदा चर्चितं चन्दनैः कुङ्कुमाक्तं नमो ज्ञानरुपं गणेशं नमस्ते ॥ ६ ॥
नमो गौरिदेहमलोत्पन्न तुभ्यं नमो ज्ञानरुपं नमः सिद्धिपं तम् ।
नमो ध्यायतामर्चतां बुद्धिदं तं नमो गौर्यपत्यं गणेशं नमस्ते ॥ ७ ॥
भुजङ्गप्रयातं पठेद्यस्तु भक्त्या प्रभाते नरस्तन्मयैकाग्रचित्तः ।
क्षयं यान्ति विघ्ना दिशः शोभयन्तं नमो ज्ञानरुपं गणेशं नमस्ते ॥ ८ ॥
॥ इति श्रीढुंढिराजभुजंगप्रयात स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद, गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने शांत मन से इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। गणेश चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के दिन इसका पाठ करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।