Shri Ganesh Manas Pooja – श्री गणेश मानस पूजा – नानारत्नविचित्रकं रमणिकं सिंहासनं कल्पितं

श्री गणेश मानस पूजा संस्कृत में है, और इसका अर्थ है “मन में की जाने वाली पूजा”। इस पूजा को करने के लिए हमें मन शांत और ध्यान की अवस्था में बैठकर भगवान गणेश जी का ध्यान करना होता है। आपको अपने मन की कल्पना में भगवान गणेश जी का दिव्य रूप देखना है, और जो भी सर्वोत्तम चीज़ें आप सोच सकते हैं – जैसे महंगे आभूषण, सुंदर वस्त्र, फूल, मालाएँ, मिठाइयाँ – वो सब भगवान गणेश को अर्पित करने की भावना रखनी होगी।

|| श्री गणेश मानस पूजा  ||

नानारत्नविचित्रकं रमणिकं सिंहासनं कल्पितं
स्नानं जाह्नविवारिणा गणपते पिताम्बरं गृह्यताम् ।
कण्ठे मौक्तिकमालिका श्रुतियुगे द्वे धारिते कुण्डले
नानारत्नविराजितो रविविभायुक्तः किरीटः शिरे ॥ १॥

भाले चर्चितकेशरं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनं
नानावृक्षसमुद्गतं सुकुसुमं मन्दारदूर्वाशमीः ।
गुग्गूल्लोद्भवधूपकं विरचितं दीपं त्वदग्रे स्थितं
भक्ष्यं मोदकसंयुतं गणपते क्षीरोदनं गृह्यताम् ॥ २॥

ताम्बूलं मनसा मया विरचितं जम्बूफलं दक्षिणां
साष्टाङ्गं प्रणतोऽस्मि ते मम कृतां पूजा गृहाण प्रभो ।
मे कामः सततं तवार्चनविधौ बुद्धिस्तवालिङ्गने
स्वेच्छा ते मुखदर्शने गणपते भक्तिस्तु पादाम्बुजे ॥ ३॥

माता गणेशश्च पिता गणेशो
भ्राता गणेशश्च सखा गणेशः ।
विद्या गणेशो द्रविणं गणेशः
स्वामी गणेशः शरणं गणेशः ॥ ४॥

इतो गणेशः परतो गणेशः
यतो यतो यामि ततो गणेशः ।
गणेशदेवादपरं न किञ्चित्
तस्मात् गणेशं शरणं प्रपद्ये ॥ ५॥

इस पूजा में आपको वास्तविक रूप से कुछ खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है। आपकी सच्ची भक्ति और ईमानदार भावना ही सबसे महत्वपूर्ण है। इस पूजा के माध्यम से, जब आप सच्चे मन से भगवान गणेश जी को समर्पित होते हैं, तो उनके आशीर्वाद से आपकी सभी शुभ इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

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