Shri Ram Stuti Lyrics in Hindi – श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्

आज हम उन देवता के बारे में जानेंगे जिन्होंने इस पूरे संसार को हर निकट परिस्तिथि का सामना कैसे करना है ये सिखाया, और आज के युग मे किसी भी व्यक्ति को कोई भी परेशानी होती है तो उनके मुख से एक ही नाम निकलता है, जो हर समस्या का सामना करने का साहस देता है, और उस नाम को जपने से ही लोगो का उद्धार हो जाता है, उस नाम को लेने से ही सारी परेशानियों से राहत मिल जाती है। और हर इंसान के चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है।

जी हां यहां बात उन्ही देवता की हो रही है जिनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। जिन्होंने अपनी मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता का साथ भी छोड़ दिया। अब तो आप लोग भी समझ गए होंगे कि में मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी की बात कर रहा हूँ, प्रभु श्री राम के बारे में हम जितना जानेंगे उतना कम है क्योंकि इस संसार के किसी भी व्यक्ति के शब्दों में इतना ज़ोर नही जो प्रभु श्री राम का परिचय दे सके।

।। जय श्री राम ।।

श्री राम स्तुति – श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

 

महत्वपूर्ण जानकारी

क्या आपको पता है कि प्रभु श्री राम जी भगवान विष्णु के अवतार है, और इन्हें श्री राम और श्री रामचन्द्र के नामो से भी जाना जाता है। रामायण में वर्णन के अयोध्या के सूर्यवंशी राजा, चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ (पुत्र प्राप्ति यज्ञ) कराया जिसके फलस्वरूप उनके पुत्रों का जन्म हुआ। श्री राम का जन्म देवी कौशल्या के गर्भ से अयोध्या में हुआ था।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी उनके जीवन पर केंद्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरित्रमानस की रचना की है। और इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएँ हुई है, जो काफी प्रसिद्ध है।

Shri Ramachandra Kripalu” or “Shri Ram Stuti” was written by Goswami Tulsidas in the sixteenth century. Shri Ram Stuti is written in a mix of Sanskrit and Awadhi languages.

9 Responses

  1. Harshit bajpai says:

    Jai shree ram

  2. sachin lowanshi says:

    i am sachin lowanshi from bhopal madhya pradesh
    very good work i ma proud of you
    you keep moving forward like this

  3. Sachin parihar says:

    Jai shree Ram

  4. Biswanath mondal says:

    Thanks

  5. Sunil kumar Dohare says:

    Jai shri ram

  6. bhoopendra says:

    🚩🚩🙏🙏

  7. HEER RAJPAL says:

    ram stuti is best

  8. Priyanshu Bajpayee says:

    JAI SHREE RAM 🕉️🚩

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *