Shri Shiva Bilvashtakam – श्री शिव बिल्वाष्टकम – त्रिदलं त्रिगुणा-कारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्।
श्री शिव बिल्वाष्टकम एक शक्तिशाली मंत्र है जिसे जगद् गुरु श्री आदि शंकराचार्य ने रचा था। यह मंत्र भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाने की शक्ति और महिमा को बताता है। मंत्र में उनके तीनों पत्तियों को समर्पित किया गया है, जो उनकी विशेषताओं को प्रतिष्ठित करती हैं। बेलपत्र, इस मंत्र की महत्वपूर्ण सामग्री में से एक है, जिसे भगवान शिव की पूजा में उपयोग किया जाता है।
|| श्री शिव बिल्वाष्टकम् ||
त्रिदलं त्रिगुणा-कारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्।
त्रिजन्म-पाप-संहारं बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।१।।
त्रिशाखैर्-बिल्व-पत्रैश्च ह्यच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः।
शिव-पूजां करिष्यामि बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।२।।
अखण्ड-बिल्व-पत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे।
शुद्ध्यन्ति सर्व-पापेभ्यो बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।३।।
शालग्राम-शिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत्।
सोम-यज्ञ-महापुण्यं बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।४।।
दन्ति-कोटि-सहस्राणि वाजपेय-शतानि च।
कोटि-कन्या-महादानं बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।५।।
लक्ष्म्याः स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्।
बिल्व-वृक्षं प्रयच्छामि बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।६।।
दर्शनं बिल्व-वृक्षस्य स्पर्शनं पाप-नाशनम्।
अघोर-पाप-संहारं बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।७।।
मूलतोः ब्रह्म-रूपाय मध्यतो विष्णु-रूपिणे।
अग्रतः शिव-रूपाय बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।८।।
बिल्वाष्टक-मिदं पुण्यं यः पठेच्छिव-सन्निधौ।
सर्व-पाप-विनिर्मुक्तः शिव-लोकम-वाप्नुयात्।।९।।
.. इति बिल्वाष्टकं संपूर्णम्।।
शिव पुराण के अनुसार, बिल्व पत्र भगवान शिव का प्रतीक है, जो उनकी तीन आंखों का प्रतीक है। यह स्तोत्र शिव को प्रसाद के रूप में बिल्व पत्र के उपयोग के महत्व का वर्णन करता है। शिव पुराण के अनुसार, एक बिल्व पत्र एक हजार कमल के बराबर होता है।