Sri Ganapathi Thalam – श्री गणपति तालम् – विकटोत्कटसुन्दरदन्तिमुखं भुजगेन्द्रसुसर्पगदाभरणम्।

“श्री गणपति तालम्” एक प्रमुख ताल है जो भारतीय संगीत में प्रयोग किया जाता है। यह ताल भगवान गणेश को समर्पित है। इस ताल का प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें 8 मात्राएं होती हैं, जिन्हें विभिन्न ढंग से व्यक्त किया जा सकता है। यह ताल अक्सर क्षेत्रीय संगीत में उपयोग होता है, विशेष रूप से कर्णाटक संगीत में।

॥ श्री गणपति तालम् ॥

विकटोत्कटसुन्दरदन्तिमुखं
भुजगेन्द्रसुसर्पगदाभरणम् ।
गजनीलगजेन्द्रगणाधिपतिं
प्रणतोऽस्मि विनायकहस्तिमुखम् ॥ १॥

सुरसुरगणपतिसुन्दरकेशं
ऋषिऋषिगणपतियज्ञसमानम् ।
भवभवगणपतिपद्मशरीरं
जयजय गणपति दिव्य नमस्ते ॥ २॥

गजमुखवक्त्रं गिरिजापुत्रं गणगुणमित्रं गणपतिमीशप्रियम् ॥ ३॥

करधृतपरशुं कङ्कणपाणिं कबलितपद्मरुचिम् ।
सुरपतिवन्द्यं सुन्दरवक्त्रं सुन्दरचितमणिमकुटम् ॥ ४॥

प्रणमतदेहं प्रकटितकालं षष्ठिरि तालमिदं
तत्तत्षष्ठिरि तालमिदं तत्तत्षष्ठिरि तालमिदम् ॥ ५॥

लम्बोदरवरकुञ्जासुरकृतकुङ्कुमवर्णधरम् ।
श्वेतसश‍ृङ्गं मोदकहस्तं प्रीति सपनसफलम् ॥ ६॥

नयनत्रयवरनागविभूषितनानागणपति तं तत्तक्
नयनत्रयवरनागविभूषितनानागणपति तं तत्तक्
नानागणपति तं, तत्तक् नानागणपति तं तत्तक् नानागणपति तम् ॥ ७॥

धवलितजलधरधवलितचन्द्रं
फणिमणिकिरणविभूषितखड्गम् ।
तनुतनुविषहरशूलकपालं
हरहरशिवशिवगणपतिमभयम् ॥ ८॥

कटतटविगलितमदजलजलधितगणपतिवाद्यमिदं
कटतटविगलितमदजलजलधितगणपतिवाद्यमिदं
तत्तत् गणपतिवाद्यमिदं, तत्तत् गणपतिवाद्यमिदम् ॥ ९॥

तत्गदिं नं तरिगु तरिजनकु कुकुत्तद्दि कुकुतकिट डिंडिंगु डिगुनकुकुतद्दि
तत्त झं झं तरित ! त झं झं तरित तकतझं झं तरित ।
त झंझं तरित तरिदणत तरजुणुत जुणुदिमि टकटदिकुतरिगिटतों
टकि टकटदिकुतरिगिटतों टकि टकुदिकुतरिगिटतों ताम् ॥ १०॥

तक-तकिट-तकतकिट-तक-तकिटततों,
शशिकलितशशिकलितमौलिनं शूलिनम् ।
तक-तकिट-तक-तकिट-तक-तकिट-तत्तोम्,
विमलशुभकमलजलपादुकं पाणिनम् ।
धिक्तकिट-धिक्तकिट-धिक्तकिटतत्तों,
प्रमथगणगुणखचितशोभनं शोभितम् ।
धिक्तकिट-धिक्तकिट-धिक्तकिटतत्तों,
मृदुलभुजसरसिजभिपानकं पोषणम् ।
धकतकिट-थकतकिट-थकतकिटतत्तों,
पनसफलकदलिफलमोदनं मोदकम् ।
धिक्तकिट-धिक्तकिट-धिक्तकिटतत्तों,
प्रमथगुरुशिवतनयगणपति तालनम् ।
गणपति तालनं ! गणपति तालनम् !! ॥ ११॥

इति गणपतितालं सम्पूर्णम् ।

“श्री गणपति तालम्” में मुख्यतः चार अवधियाँ होती हैं, जो विभिन्न ढंग से व्यक्त की जाती हैं। इस ताल का प्रयोग विभिन्न संगीत आवाजों, वाद्य और नृत्य कलाओं में किया जाता है। गणेश ताल की ध्वनि और आवृत्ति में एक विशेष महत्व है जो संगीत को रंगीन और गुंजायमान बनाता है। यह ताल गीत, वाद्य संगीत, और नृत्य कलाओं को और भी प्रभावशाली बनाता है।

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