श्री विश्वकर्मा जी की आरती – ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा – Vishwakarma Aarti
हिन्दू धर्म मे भगवान विश्वकर्मा जी को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। वे वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी के पुत्र थे। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण भी उन्हीने ही किया था। पौराणिक काल मे विशाल भवनों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा करते थे उन्होंने ही इंद्रपुरी ,यमपुरी,वरुणपुरी,पांडवपुरी,कुबेरपुरी,शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी आदि का निर्माण किया था। सोने की लंका के अलावा कई ऐसे भवनों का निर्माण उन्होंने किया था, जो उस समय स्थापत्य और सुंदरता में अदितीय होने के साथ साथ वास्तु के हिसाब भी महत्वपूर्ण थे।
ये मंदिर देवी-देवताओं, राजा महाराजाओं द्वारा बनवाए जाते थे। और यह भी कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा जी को इतना अनुभव था कि वे अपनी कार्यशक्ति से पानी मे चलने वाले खड़ाऊ भी बन सकते थे।
वैसे तो भगवान विश्वकर्मा जी का वर्षभर में कई बार पूजा महोत्सव मनाया जाता है। पर उनकी जन्म तिथि माघ शुक्ल त्रयोदशी को मानी जाती है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा जनकल्याणकारी है एवं प्रत्येक व्यक्ति को तकनीकी और विज्ञान के जनक भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए।
श्री विश्वकर्मा जी की आरती
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥4॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥5॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥
विश्वकर्मा जी की अन्य आरती
॥ श्री विश्वकर्मा आरती ॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवोप्रभु विश्वकर्मा।
सुदामा की विनय सुनीऔर कंचन महल बनाये।
सकल पदारथ देकर प्रभु जीदुखियों के दुख टारे॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥
विनय करी भगवान कृष्ण नेद्वारिकापुरी बनाओ।
ग्वाल बालों की रक्षा कीप्रभु की लाज बचायो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥
रामचन्द्र ने पूजन कीतब सेतु बांध रचि डारो।
सब सेना को पार कियाप्रभु लंका विजय करावो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥
श्री कृष्ण की विजय सुनोप्रभु आके दर्श दिखावो।
शिल्प विद्या का दो प्रकाशमेरा जीवन सफल बनावो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥