Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि दर्शन, पूजन विधि, महत्व
भगवान शिव की प्रिय रात्रि शिवरात्रि, शिव शब्द का अर्थ है ‘कल्याण’ और ‘रा’ दानार्थक धातु से रात्रि शब्द बना है, अर्थात यह कि जो सुख प्रदान करती है, वह रात्रि है।
महाशिवरात्रि पर करे भगवान शिव की आरती
महाशिवरात्रि पर यह स्तोत्र पढ़ने से लाभ होता है:
1. शिव महिम्न स्तोत्र: शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।महाशिवरात्रि पर यह स्तोत्र` पढ़ने से अत्यधिक लाभ होता है। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा और महत्त्व को बताता है
2. शिव मानस पूजा: महाशिवरात्रि के दिन शिव मानस पूजा करने से भगवन शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. शिव पंचाक्षर स्तोत्र: महाशिवरात्रि पर शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। यह मंत्र पाँच अक्षरों से मिलकर बना है।
4. शिव तांडव स्तोत्र: यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव के ध्यान, भक्ति, और स्तुति के लिए इसका पाठ किया जाता है, और इसका पाठ करने से भक्त को मानसिक और आध्यात्मिक शांति और स्थिरता की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि महत्व
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है। मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था। महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं। मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है।
पुराणों में, वेदों में, और शास्त्रो में भगवान शिव-महाकाल के महात्म्य को प्रतिदापित किया गया है। हिन्दू संस्कृति में भगवान शिव प्रणेता आदिदेव महादेव है। हमारी सांस्कृतिक मान्यता के अनुसार 33 कोटि देवताओं में ‘शिरोमणि’ देव शिव ही है। सृष्टि के तीनो लोको में भगवान शिव एक अलौकिक शक्ति वाले देव है।
शिवस्य प्रिया रात्रियस्मिन व्रते अंगत्वेन विहिता तदव्रतं शिवरात्र्याख्याम्।’ – इस प्रकार महाशिवरात्रि का अर्थ होता है। वह रात्रि जो आनंद प्रदायिनी है और जिसका शिव के साथ विशेष संबंध है। शिवरात्रि ,जो फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशी को है, उसमे शिव पूजा, उपवास और रात्रि जागरण का प्रावधान है इस महारात्रि को शिव की पूजा करना सचमुच एक महाव्रत है।
महाशिवरात्रि पर कैसे करे शिवजी का पूजन
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है शिव का प्रिय दिन सोमवार है अतः सभी शिवालयों में शिव की विशेष पूजा सोमवार को की जाती है , शिवजी का अभिषेक गंगा जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, और गन्ने के रस आदि से किया जाता है। अभिषेक के बाद शिव लिंग के ऊपर बिल्वपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, नीलकमल, ऑक मदार और भांग के पत्ते के आदि से पूजा की जाती है।
बिल्वपत्र पर सफ़ेद चन्दन से ओम नमः शिवाय या राम नाम लिख कर चढाने से महादेव अति शीघ्र प्रसन्न होते है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक शमी पत्र का महत्व होता है अतः शिव पूजा में शमी का पत्ता अवश्य चढ़ाये।
शिवरात्रि में चार प्रहरों में चार बार अलग-अलग विधि से पूजा का प्रावधान है।
- महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में भगवान शिव की ईशान मूर्ति को दुग्ध द्वारा स्नान कराएँ,
- दूसरे प्रहर में उनकी अघोर मूर्ति को दही से स्नान करवाएँ और
- तीसरे प्रहर में घी से स्नान कराएँ व चौथे प्रहर में उनकी सद्योजात मूर्ति को मधु द्वारा स्नान करवाएँ। इससे भगवान आशुतोष अतिप्रसन्न होते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन समूचा शहर शिवमय हो जाता है। चारों ओर बस शिव जी का ही गुंजन सुनाई देता है।
महाशिवरात्रि मान्यता
महाशिवरात्रि के पावन दिन भगवान शिव का हृदय से स्मरण करे। और ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए रुद्राभिषेक करे। भगवान शिव को 108 बिल्वपत्र अर्पित करे और अंतिम बिल्वपत्र को आशीर्वाद के रूप में तिजोरी में रख ले।और रोजाना उन्हें बिल्वपत्र अर्पित करे ऐसा करने से घर मे दरिद्रता नही आती और मन भी शांत रहता है और कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ की पूजा बिल्वपत्र के बिना अधूरी है।और भगवान शिव के प्रिय डमरू की भी की विशेष महिमा है ,भगवान शिव के प्रिय डमरू को बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि डमरू को घर मे रखने से किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा घर मे प्रवेश नही करती।
हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है की महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मनुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखो,पीड़ाओं का अंत तो हो ही जाता है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।और पुराणो में कहा गया है की इस व्रत का फल कभी निरर्थक नही जाता। शिव की साधना से धन-धान्य, सुख सौभाग्य, और समृद्धि की कमी कभी नही होती। भक्ति और भाव से स्वत: के लिए तो करना ही चाहिए साथ कि जगत के कल्याण के लिए भगवान आशुतोष की आराधना भी करनी चाहिए।
व्रत पूर्ण होने के बाद शिव से प्रार्थना करे-
संसार क्लेश दग्धस्य व्रतेनानेंन शंकर।
प्रसीद सुमुखोनाथ, ज्ञान दृष्टि प्रदोभव।
अर्थात यह है कि भगवान शंकर ! में हर रोज संसार की यातना से, दुखो से दग्ध हो रहा हूं। इस व्रत से आप मुझ पर प्रसन्न हो और प्रभु संतुष्ट होकर मुझे ज्ञानदृष्टि प्रदान करे।
Jai shree Ram 🙏❤️🙏
जय श्री अलीजा सरकार की
जय श्री राम
जय सियाराम
Jay sree ram
जय श्री वीर अलीजा सरकार,जय जय सियाराम।
सभी श्री सदगुरू देव जी की जय हो।
अति अनुपम दर्शन🙏🙏💐💐
Jay shevi sankar
Jai jai siyaram 🙏🙏🙏
आभार, आपके सौजन्य और महाशिवरात्रि पर्व की जानकारी तथा पूजन विधि हेतु मार्गदर्शन के लिए!
नमन, अभिनंदन!! ओम् नमः शिवाय!!!
राजाधिराज श्री वीर अलीजा सरकार कि जय हो। अलीजा सरकार का आशीर्वाद हमेशा बना रहे।
Jai shree ram 🙏🙏🙏
🙏🙏हर हर महादेव🚩🚩
हर हर महादेव
जय जय सियाराम
जय श्री हरिहर
🙏🏻🙏🏻
Jay shree mahakal
Jay shree ram
Rajadhiraj shree veera alija sarkar ki jay ho baba ki jay ho❤️🙏
Jay ho baba ki
जय हों आलिजा सरकार महाराज सबकी मनोकामना हमेशा ही ऐसे ही पूर्ण होती रहे 🙏🙏🙏🙏
जय हो राजाधिराज वीर अलीजा सरकार की जय हो
जय हो राजाधिराज वीर अलीजा सरकार की जय हो
Jai siyaram🙏🏻
बहुत ही अच्छी जानकारी
बहुत ही अच्छी जानकारी।
राजाधिराज श्री आलिजा सरकार की जय🙏
Veer Ali Raja Sarkar……
Shri Hanumante namaha….
Om Namaha Shivay……..
जय जय सियाराम🚩🚩🙏🙏🙏