श्री भैरव बाबा जी की आरती – जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा – Bhairav Dev ki Aarti
श्री भैरव देव की उपासना से व्यक्ति के ऊपर आने वाली समस्त प्रकार की व्याधाओं का नाश होता है। अनेक क्षेत्रों में यह माना जाता है की भैरव देव की पूजा गृहस्थों को नहीं करनी चाहिए। श्री भैरव देव की कृपा से जातक अकाल मृत्यु से सदैव सुरक्षित रहता है। जिन जातकों के ऊपर किसी प्रकार की प्रेत-बाधा होती है, उन्हें भी भैरव भगवान् की आराधना करनी चाहिए। इस प्रकार वह किसी भी प्रकार की प्रेत – बाधा अथवा टोटके आदि से भी सुरक्षित रहता है। अतः आपको भी यदि अपने जीवन में इस प्रकार की कोई समस्या है तो आप प्रति रविवार श्री भैरव देव चालीसा एवं श्री भैरव देव आरती का पाठ कर सकते हैं।
भैरव बाबा जी की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥