श्री जगन्नाथ जी की आरती – चतुर्भुज जगन्नाथ – Jagannath Ji Ki Aarti

भगवान जगन्नाथ का मंदिर ओडिशा के पुरी शहर में स्तिथ है, यहां भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भी पूजा की जाती है। पुरी में जगन्नाथ जी का मंदिर निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी की मूर्ति लकड़ी से बनी हुई है, जिसे हर 12 साल में बदला जाता है। जबकि हर साल आषाड़ महीने में शुक्ल पक्ष की द्वतीय तिथि को जगन्नाथ जी की रथ यत्र निकाली जाती है।

श्री जगन्नाथ जी की आरती

चतुर्भुज जगन्नाथ
कंठ शोभित कौसतुभः ।।

पद्मनाभ, बेडगरवहस्य,
चन्द्र सूरज्या बिलोचनः

जगन्नाथ, लोकानाथ,
निलाद्रिह सो पारो हरि

दीनबंधु, दयासिंधु,
कृपालुं च रक्षकः

कम्बु पानि, चक्र पानि,
पद्मनाभो, नरोतमः

जग्दम्पा रथो व्यापी,
सर्वव्यापी सुरेश्वराहा

लोका राजो, देव राजः,
चक्र भूपह स्कभूपतिहि

निलाद्रिह बद्रीनाथशः,
अनन्ता पुरुषोत्तमः

ताकारसोधायोह, कल्पतरु,
बिमला प्रीति बरदन्हा

बलभद्रोह, बासुदेव,
माधवो, मधुसुदना

दैत्यारिः, कुंडरी काक्षोह, बनमाली
बडा प्रियाह, ब्रम्हा बिष्णु, तुषमी

बंगश्यो, मुरारिह कृष्ण केशवः
श्री राम, सच्चिदानंदोह,

गोबिन्द परमेश्वरः
बिष्णुुर बिष्णुुर, महा बिष्णुपुर,

प्रवर बिशणु महेसरवाहा
लोका कर्ता, जगन्नाथो,
महीह करतह महजतहह ।।

महर्षि कपिलाचार व्योह,
लोका चारिह सुरो हरिह

वातमा चा जीबा पालसाचा,
सूरह संगसारह पालकह
एको मीको मम प्रियो ।।

ब्रम्ह बादि महेश्वरवरहा
दुइ भुजस्च चतुर बाहू,

सत बाहु सहस्त्रक
पद्म पितर बिशालक्षय

पद्म गरवा परो हरि
पद्म हस्तेहु, देव पालो

दैत्यारी दैत्यनाशनः
चतुर मुरति, चतुर बाहु
शहतुर न न सेवितोह …

पद्म हस्तो, चक्र पाणि
संख हसतोह, गदाधरह

महा बैकुंठबासी चो
लक्ष्मी प्रीति करहु सदा |

भगवान जगन्नाथ कौन है?

भगवान जगन्नाथ भारत और दुनिया भर में भक्तों द्वारा पूजे जाने वाले एक हिंदू देवता हैं। भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार (अवतार) माना जाता है। वास्तव में, उनके पास भगवान विष्णु के सभी अवतारों के गुण हैं। भगवान जगन्नाथ की अलग-अलग अवसरों पर अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण

गंग वंश काल के कुछ मिलते प्रमाणों के मुताबिक जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने किया था। राजा ने अपने शासनकाल 1078 से 1148 के बीच मंदिर के जगमोहन और विमान भाग का निर्माण कराया था। उसके पश्यात 1197 में ओडिशा के राजा भीम देव ने वर्तमान मंदिर का निर्माण कराया था।

ऐसा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर में 1448 से ही पूजा की जा रही है। मगर उसी साल में एक अफगान ने ओडिशा पर आक्रमण किया था। उस समय भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों और मंदिर को नस्ट कर दिया था। मगर बाद में राजा रामचंद्र देव ने खुर्दा में अपना राज्य स्थापित किया था। और जगन्नाथ मंदिर और इसकी मूर्तियों को फिरसे स्थापित किया था।

भारत के सबसे शानदार मंदिरों में से एक जगन्नाथ मंदिर है। जगन्नाथ मंदिर अपनी उत्कृष्ट उड़िया वास्तुकला से प्रसिद्ध है। मंदिर तक़रीबन 4,00,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला दो आयताकार दीवारों से घिरा हुआ है। बाहरी दीवार को मेघनाद पचेरी कहा जाता है। वह दीवार 20 फीट ऊंची है। दूसरे को कूर्म बेधा कहा जाता है, वह मुख्य मंदिर को घेरता है। मुख्य मीनार या शिखर दूसरे शिखरों की तुलना में अधिक ऊँचा है। जिसमे देवताओं का घर है। जगन्नाथ मंदिर में चार अलग-अलग संरचनाएं हैं।

जिसको विमान, जगमोहन या पोर्च, नाटा मंदिर और एक पंक्ति में निर्मित भोग मंडप कहाजाता है। और चार द्वार हैं, जिसको पूर्वी सिंहद्वार (शेर द्वार), दक्षिणी अश्वद्वारा (घोड़ा द्वार), पश्चिमी व्याघरासन (बाघ द्वार), और उत्तरी हस्तीद्वारा (हाथी द्वार) कहते है। लायन गेट ग्रैंड रोड पर स्थित प्रमुख द्वार है। जगन्नाथ परिसर में कई मंदिर स्थित हैं। उसके साथ मंदिर के शीर्ष पर एक पहिया जिसको नीला चक्र या नीला पहिया कहते है। नीला चक्र अलग अलग धातुओं से बना और हर दिन चक्र पर नया झंडा फहराया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *