Sita Ma ki Aarti – श्री सीता माता की आरती

सीता रामायण और रामकथा पर आधारित अन्य ग्रंथ, जैसे रामचरितमानस, कंब रामायण की मुख्य नायिका हैं । सीता मिथिला (सीतामढ़ी, बिहार) में जन्मी थी, यह स्थान आगे चलकर सीतामढ़ी से विख्यात हुआ। देवी सीता मिथिला के नरेश राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं । इनका विवाह अयोध्या के नरेश राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम से स्वयंवर में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था। इन्होंने स्त्री व पतिव्रता धर्म का पूर्ण रूप से पालन किया था जिसके कारण इनका नाम बहुत आदर से लिया जाता है।

श्री सीता माता की आरती

आरती श्रीजनक-दुलारी की। सीताजी रघुबर-प्यारी की।।
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि, नित्य सत्य साकेत विहारिणि।

परम दयामयि दीनोद्धारिणि, मैया भक्तन-हितकारी की।।
आरती श्रीजनक-दुलारी की।

सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि, पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि, त्याग-धर्म-मूरति-धारी की।।
आरती श्रीजनक-दुलारी की।।

विमल-कीर्ति सब लोकन छाई, नाम लेत पावन मति आई।
सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी, शरणागत-जन-भय-हारी की।।
आरती श्रीजनक-दुलारी की। सीताजी रघुबर-प्यारी की।।

 

सीता माता की महिमा अपार है। वेद, शास्त्र, पुराण,इतिहास तथा धर्म शास्त्रों में इनकी अनन्त महिमा का वर्णन है। ये भगवान श्रीराम की प्राणप्रिया आद्याशक्ति हैं। ये सर्वमङ्गलदायिनी, त्रिभुवन की जननी तथा भक्ति और मुक्ति का दान करने वाली हैं। महाराज सीरध्वज जनक की यज्ञ भूमि से कन्या रूप में प्रकट हुई भगवती सीता ही संसार का उद्भव, स्थिति और संहार करने वाली पराशक्ति हैं। ये पतिव्रताओं में शिरोमणि तथा भारतीय आदर्शों की अनुपम शिक्षिका हैं।

मां सीता मिथिला के राजा जनक की सबसे बड़ी पुत्री थी। इन्हें कई नामों से जाना जाता है। शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मां जानकी राजा दशरथ के गोद में आई थी। इस दिन भारत में बड़ी धूमधाम से सीता जयंती मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार जहां मां जानकी की सुबह-शाम पूजा-अर्चना की जाती है, वहां मां लक्ष्मी साक्षात विराजमान रहती हैं। आपको बता दें मां सीता को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। उनकी पूजा-अर्चना जीवन की सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती है। यदि आप भी मां जानकी की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते है, तो उनकी यह पवित्र आरती सुबह-शाम जरूर पढ़ें।

सीता माता की पूजा का महत्‍व

सुहागिन महिला अपने पति की लंबी आयु के लिए मां जानकी की पूजा अर्चना करती है। जानकी मां के मंदिर में भगवान श्री राम की पूजा अर्चना जरूर की जाती है। आपको बता दें, कि श्री रामचंद्र जी की पूजा अर्चना करने से मां जानकी बहुत प्रसन्न होती हैं। मां अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर इच्छित वर देती है।

बता दें कि मां जानकी राजा जनक की बहुत दुलारी पुत्री थी। जनक पुत्री होने के कारण उन्हें जानकी के नाम से भी पुकारा जाता है। यदि आप मां जानकी की पूजा अर्चना अपने घर में प्रतिदिन करें, तो आपके घर में कभी भी कोई अमंगल कार्य नहीं होगा। आपकी जिंदगी की सभी विघ्न-बाधाएं हमेशा दूर हो जाएगी

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